
आज हम आपको नूंह जिले के मढ़ी गांव की दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं. सूबे में मढ़ी ऐसा पहला गांव है, जहां सबसे पहले फसल पककर तैयार होती है.
नूंहः कुछ गांव वाले बताते हैं कि मढ़ी गांव में सदियों पहले कोई भूखा -प्यासा बुजुर्ग व्यक्ति आया था. उसने गांव के किसी व्यक्ति से खाना मांगा. ग्रामीणों ने उसकी जमकर मेहमान नवाजी की और खाने में देरी नहीं लगाई. उसी समय उस बुजुर्ग ने गांव के लोगों को दुआ दी , कि कुदरत भी तुम्हें दुनिया से यानि अन्य गांवों से पहले रिजक - रोटी देगा. बस उसी दिन से मढ़ी गांव में फसल सबसे पहले पकने लगी और गांव के लोग सबसे पहले नए अनाज की रोटी खाने लगे.
वहीं कुछ गांव वाले जल्दी फसल पकने के पीछे सिंचाई नहीं होने का भी एक कारण बताते हैं, लेकिन पानी तो पूरे खण्ड के करीब पांच दर्जन गांवों में लगभग एक समान ही है. गौरतलब है कि गांव की आबादी करीब 3 हजार बताई जाती है. गांव की जमीन के लिए बरसाती पानी के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है. साल भर में इस गांव के लोग एक बार ही फसल ले पाते हैं. कई दशक का हरियाणा हो चुका, लेकिन इस खण्ड के करीब 66 गांवों को नहरी पानी से नहीं जोड़ा जा सका.
मढ़ी गांव में देशी यानि 306 किश्म का गेंहू अधिकतर मात्रा में बोया जाता है. लंबा बढ़ने वाला यह गेंहू कम सिंचाई यानि बरसाती पानी से ही हो जाता है. सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण इसमें खाद भी नहीं डालीजाती.इस गेंहू की शुद्धता का भी कोई सानी नहीं है. सबसे पहलानया और बिमारियों से मुक्त गेंहू मढ़ी गांव की शान को बढ़ाता है.