सोमवार तक आदेश का पालन हो वरना स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव को भेज देंगे जेल: हाई कोर्ट
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याचिका दाखिल करते हुए पंचकूला चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से कहा गया कि जिस स्थान पर रोड ऑवर ब्रिज बनाने की तैयारी की जा रही है वहां पर कई उद्योग मौजूद हैं और लंबे समय से यहां काम कर रहे हैं. यदि यह ब्रिज यहां बनाया गया तो इससे सीधे तौर पर इन उद्योगों का रास्ता बंद हो जाएगा और यहां से बड़े वाहन नहीं निकल पाएंगे.

चंडीगढ़: अंबाला-चंडीगढ़ रेल लाईन की क्रॉसिंग नंबर 122 पर बनने वाले रोड ऑवर ब्रिज को बनाते हुए पंचकूला चेंबर ऑफ कॉमर्स की रिप्रेजेंटेशन पर फैसला न लेने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को जमकर फटकार लगाई. हाईकोर्ट ने कहा कि हमने आदेश दिया था कि रिप्रेजेंटेशन पर फैसला लिया जाए और ऐसा नहीं किया गया.

कोर्ट ने कहा कि क्या अधिकारी हमारे आदेशों को इतना हल्के में लेते हैं. कोर्ट से हरियाणा सरकार ने दो सप्ताह की मोहलत मांगी जिसे नामंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने सोमवार तक की मोहलत देते हुए कहा कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव को जेल भेज देंगे. याचिका दाखिल करते हुए पंचकूला चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से कहा गया कि जिस स्थान पर रोड ऑवर ब्रिज बनाने की तैयारी की जा रही है वहां पर कई उद्योग मौजूद हैं और लंबे समय से यहां काम कर रहे हैं. यदि यह ब्रिज यहां बनाया गया तो इससे सीधे तौर पर इन उद्योगों का रास्ता बंद हो जाएगा और यहां से बड़े वाहन नहीं निकल पाएंगे.

क्या है पूरा मामला

याची ने कहा कि इन उद्योगों के कारण राज्य को राजस्व मिलता है और ऐसे में बीच का हल निकाला जाना चाहिए. जिससे उद्योगों का मार्ग भी न बाधित हो और ब्रिज भी बनाया जा सके.याची की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कोर्ट में मौजूद एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक बाल्यान को याचिका की प्रति सौंपने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट ने कहा था कि यह मामला तकनीकी है. जिसका हाईकोर्ट के सुनने का कोई मतलब नहीं है.
कोर्ट ने कहा था कि हरियाणा सरकार को चाहिए कि याची के साथ मिलकर इसका हल निकाले. कोर्ट ने याचिका को रिप्रेजेंटेशन मानते हुए हरियाणा सरकार को इस रिप्रेजेंटेशन पर याची का पक्ष सुनकर फैसला लेने के आदेश दिए थे.

इस दौरान हरियाणा सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वे इस मामले में सभी पहलूओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेंगे और प्रयास रहेगा कि याची का हित प्रभावित न हो. इसके बावजूद न तो रिप्रेजेंटेशन पर फैसला लिया गया और न ही आदेश का पालन किया गया.
हरियाणा सरकार की ओर से दीपक बाल्यान ने हाईकोर्ट से दो सप्ताह की मोहलत मांगी जिसे नामंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए सोमवार तक की मोहलत दी.

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