
भारतीय वायु सेना को और भी ज्याद मजबूत करने के लिए चार चिनुक हेलीकॉप्टर शामिल किया गया है. इसे अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाया है. ये एडवांस्ड मल्टी मिशन हेलीकॉप्टर हैं. ये हेलीकॉप्टर चंडीगढ़ के एयरफोर्स स्टेशन पर मौजूद हैं.
चंडीगढ़: बताया जा रहा है कि भारतीय सेना ने इस तरह के 15 चिनुक हेलीकॉप्टर मंगाए थे. जिसमें से 4 हेलीकॉप्टर्स को 10 फरवरी को ही बेड़े में शामिल किया जा चुका है. बता दें कि भारत सरकार ने वर्ष 2015 में 15 चिनूक हेलीकॉप्टरों के लिए 1.5 बिलियन डॉलर का करार किया था.
वहीं इस मौके पर चंडीगढ़ में इंडक्शन सेरेमनी भी आयोजित की गई. इस सेरेमनी में एयर फोर्स चीफ बीएस धनोआ भी मौजूद रहे.
क्यों खास है ये हेलीकॉप्टर
सीएच-47 चिनूक एक अडवांस्ड मल्टी मिशन हेलिकॉप्टर है जो भारतीय वायुसेना को बेजोड़ सामरिक महत्व की हेवी लिफ्ट क्षमता प्रदान करेगा. यह मानवीय सहायता और लड़ाकू भूमिका में काम आएगा. ऊंचाई वाले इलाकों में भारी वजन के सैनिक साज सामान के परिवहन में इस हेलिकॉप्टर की अहम भूमिका होगी.
इससे भारतीय वायुसेना की हेवी लिफ्ट क्षमता में भारी इजाफा होगा. इस हेलिकॉप्टर का दुनिया के कई भिन्न भौगोलिक इलाकों में काफी सक्षमता से संचालन होता रहा है. खासकर हिंद उपमहाद्वीप के इलाके में इस हेलिकॉप्टर की विशेष उपयोगिता होगी. भारी समानों को ढोने वाला यह हेलीकॉप्टर एक समय में हथियारों और गोला-बारूद के साथ करीब 300 सैनिकों को ले जा सकता है
चिनूक हेलीकॉप्टर न सिर्फ दिन में बल्कि रात में भी सैन्य ऑपरेशन कर सकती है. दूसरी यूनिट पूरब के लिए दिनजान (असम) में तैयार किया जाएगा. चिनूक को शामिल किया जाना गेम चेंजर होगा जैसे राफेल लड़ाकू बेड़े में होने जा रहा है. चारों चिनूक हेलीकॉप्टरों को बेड़े में शामिल करने के लिए चंडीगढ़ वायु सेना बेस में कई दिनों से तैयारियां चल रही थी. इनमें चिनूक हेलीकॉप्टरों के लिए रीफर्बिश्ड हैंगर्स और रख-रखाव सुविधाएं भी शामिल हैं. चंडीगढ़ एक सैन्य हवाईअड्डा है जहां से व्यावसायिक उड़ानें भी संचालित होती हैं.
भारत ने सितंबर 2015 में विमान निर्माता कंपनी बोइंग से 22 'एएच-64ई' अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर और 15 'सीएच-47एफ' चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने के सौदे को अंतिम रूप दिया था. दोनों मॉडल इन हेलीकॉप्टरों के नवीनतम हैं. भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर के पायलटों को पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका के डेलावर में चिनूक हेलीकॉप्टरों को उड़ाने का प्रशिक्षण लेने के लिए भेजा गया था.