रियासती जमीयत उलेमा की सरकार से मांग, तब्लीगी जमात पर कोरोनाकाल में दर्ज हुए केस लिए जाएं वापस
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शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में जमियत उलेमा के उपाध्यक्ष मौलाना मुमताज अहमद कासमी ने प्रदेश सरकार पर मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. प्रदेश में कोविड-19 के दौरान कोरोना काल में तब्लीगी जमात के लोगों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की भी माग जमियत उलेमा ने की है.

शिमला: प्रदेश में कोविड 19 के दौरान तब्लीगी जमात के लोगों पर शिकायतें और मुकदमे दर्ज किए गए थे. 56 के करीब ऐसी शिकायतें प्रदेश में भी दर्ज की गई हैं जिन्हें वापिस लेने की मांग रियासती जमीयत उलेमा ने प्रदेश सरकार से की है.

रियासती जमीयत उलेमा का कहना है कि यह शिकायतें निराधार हैं और अन्य राज्यों की सरकारों की तरह ही प्रदेश सरकार को भी इन शिकायतों को वापिस लेना चाहिए.

जमियत उलेमा ने की पत्रकार वार्ता

शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में जमियत उलेमा के उपाध्यक्ष मौलाना मुमताज अहमद कासमी ने प्रदेश सरकार पर मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की है, लेकिन सरकार की तरफ से उनकी मांगों को लेकर किसी भी तरह का जवाब नहीं दिया गया.

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हज कमेटी का नहीं हुआ गठन

प्रदेश में अभी तक हज कमेटी का गठन भी नहीं किया गया है और ना ही प्रदेश में अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के गठन को सरकार ने प्राथमिकता दी है.उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक प्रदेश में अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड का गठन नहीं किया गया है. जिसकी वजह से समुदाय की समस्याओं को सरकार तक नहीं पहुंचाया जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में खाली पड़े उर्दू के अध्यापकों के पदों को जल्द भरने की मांग भी सरकार से की और कहा कि प्रदेश के कईं ऐसे स्कूल हैं जहां पूर्व की सरकारों ने उर्दू के पदों को स्वीकृत किया था,लेकिन वर्तमान सरकार की ओर उर्दू के अध्यापक स्कूलों में नहीं लगाए जा रहे हैं.
अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित योजनाओं नहीं किया जा रहा लागू

कासमी ने कहा कि प्रदेश में केंद्र सरकार कि ओर से जारी की गई अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित योजनाओं को लागू नहीं किया जा रहा है. इस मद में स्वीकृत करोड़ों के बजट को वापस किया जा रहा है, जिससे मुस्लिम समुदाय को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.

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उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में मुस्लिम धार्मिक स्थलों को एक सोची समझी साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है. पिछले दिनों जिला कांगड़ा की नूरपुर स्थित मस्जिद का नव निर्माण का कार्य शुरू किया गया था, जिसके लिए बाकायदा जिला प्रशासन से नक्शा भी पास करवाया गया और किसी प्रकार का कोई संपत्ति विवाद भी नहीं था, लेकिन इसके बावजूद भी मुस्लिम समुदाय ने जब वहां पर मस्जिद निर्माण का कार्य शुरू किया तो रात को आकर शरारती तत्व उस निर्माण को गिरा रहे हैं.

बार-बार प्रशासन से शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं

बार-बार प्रशासन से इसकी शिकायत भी की गई है. यहां तक कि मुख्यमंत्री को इस बारे में अवगत भी करवाया गया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. इसलिए आज भी नूरपुर में मस्जिद के निर्माण का कार्य अधूरा है. इसी तरह से कुछ अन्य जगहों पर भी मस्जिद की मिनारों को बनाने में बाधा पहुंचाई जा रही है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मुस्लिम, हिंदू सदियों से आपस में प्रेम एवं भाईचारे से रहते आ रहे हैं. सब एक दूसरे की खुशी गम में शामिल होते हैं,लेकिन कुछ लोगों को यहां भाईचारा एवं प्रेम रास नहीं आ रहा है. इसलिए कुछ लोग पूरे प्रदेश का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं. इस पर प्रदेश सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए.

मुख्यमंत्री और राज्यपाल को सौंपा है मेमोरेंडम

मौलाना मुमताज अहमद कासमी ने बताया कि उड़ती मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को मांग पत्र भी सौंपा और खुद भी मुलाकात की, लेकिन सरकार की ओर से उनकी मांगों को लेकर किसी भी तरह की सकारात्मक पहल नहीं की गई. इसको देखते हुए उन्होंने राज्यपाल को भी अपनी मांगों को लेकर मेमोरेंडम सौंपा है.

लेकिन उनकी ओर से भी अभी तक किसी तरह का कोई जवाब उन्हें नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा हमारे प्रधानमंत्री ने सबके साथ सबका विकास का नारा दिया है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी इस नारे की तरफ गौर फरमाना चाहिए और मुस्लिम समुदाय की परेशानियों ओर समस्याओं का भी समाधान करते हुए इस समुदाय को परेशान कर रहे लोगों पर कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिए.

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