CGST की टीम ने राजस्थान में 3394 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया उजागर, करीब 90 करोड़ टैक्स चोरी मामले में 7 गिरफ्तार
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सेंट्रल जीएसटी की टीम ने राजस्थान में 3394 करोड़ से अधिक के फर्जीवाड़े को उजागर किया है. आरोपियों ने करीब 200 करोड़ से ज्यादा का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया है. करीब 90 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी की बात सामने आ रही है. मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

जयपुर. राजस्थान में टैक्स चोरी का एक बड़ा मामला सामने आया है. हाल ही में इनकम टैक्स की बड़ी रेड के बाद अब सेंट्रल जीएसटी की टीम ने एक बड़ी टैक्स चोरी के मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. सेंट्रल जीएसटी टीम ने 3394 करोड़ से अधिक के फर्जीवाड़े को उजागर किया है. टैक्स चोरी का मुख्य आरोपी अभी फरार चल रहा है.

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सेंट्रल जीएसटी की टीम ने सभी आरोपियों को विशेष आर्थिक अपराध न्यायालय में पेश किया. न्यायालय ने सभी आरोपियों को जेल भेज दिया है. आरोपियों ने करीब 200 करोड़ से ज्यादा का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया है. करीब 90 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी की बात सामने आ रही है. आरोपियो ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आईटीसी क्लेम का लाभ लिया है. आरोपियों को न्यायालय में पेश करने से पहले कोविड टेस्ट करवाया गया.

राजस्थान में जीएसटी चोरी

फर्जी दस्तावेज के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया

जयपुर, अलवर और एनसीआर रीजन में हुई इस कार्रवाई में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं. आरोपियों ने 200 करोड़ से ज्यादा फर्जी दस्तावेज के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया है. जिस पर करीब 90 करोड़ रुपये की टैक्स लायबिलिटी सामने आई है. इस कार्रवाई के बाद जीएसटी चोरों में हड़कंप मचा हुआ है. आरोपियों ने राजस्थान के अलावा दूसरे राज्यों के लिए भी फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया है. जयपुर जीएसटी कमिश्नर सीपी गोयल के निर्देशन में कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. सीजीएसटी की टीम दस्तावेजों की जांच पड़ताल कर रही है.

विशेष लोक अभियोजक बीएल ताखर ने बताया कि फर्जी इनवॉइस जारी करके सरकार को टैक्स की चपत लगाई गई है. फर्जी तरीके से इनवॉइस को केवल कागजों में ही दिखाया गया है. 3394 करोड़ के फर्जी बिल जारी किए गए. इसमें करीब 85 करोड़ से ज्यादा का टैक्स चोरी की गई है. आरोपियों ने बड़े शातिराना तरीके से सोना, चांदी जैसे बिलों का इंद्राज किया है. अगर सामान्य तौर पर इनवॉइस जारी की जाती तो यह टैक्स चोरी का आंकड़ा 400 करोड़ से ऊपर चला जाता. लेकिन कम से कम टैक्स वाले सोने-चांदी के संबंध में ही बिल जारी किए गए हैं.

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