राजस्थान में राकेश टिकैत की महापंचायतों को CPI (M) के समर्थन से कांग्रेस-भाजपा में मची खलबली
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किसान नेता राकेश टिकैत राजस्थान में किसान आंदोलन को मजबूती देने के लिए पांच महापंचायतें करने जा रहे हैं. टिकैत की महापंचायतों से कांग्रेस और भाजपा में खलबली मची हुई है. क्योंकि राजस्थान में राजनीतिक हासिए पर पहुंच चुकी CPI (M) ने इन महापंचायतों का समर्थन किया है. दोनों पार्टियों को डर है कि CPI (M) को इन महापंचायतों के जरिए फिर से संजीवनी मिल सकती है.

जयपुर. कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा से शुरू हुआ किसान आंदोलन अब दूसरे राज्यों में भी मजबूती पकड़ रहा है. राजस्थान में किसान आंदोलन को मजबूती देने के लिए आज 22 फरवरी से 26 फरवरी किसान नेता राकेश टिकैत महापंचायत करेंगे. राकेश टिकैत नोहर, सरदारशहर, सीकर, टोडाभीम और पदमपुर में किसान महापंचायत को संबोधित करेंगे.

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टिकैत की महापंचायतों से कांग्रेस-भाजपा में खलबली

राकेश टिकैत की महापंचायतों पर सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा की पैनी नजर है. देश भर के किसान वर्ग में टिकैत के बढ़ते प्रभाव से दोनों ही पार्टियां चिंतित हैं. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा भले ही किसानों की आवाज बुलंद करने वाले नेताओं का समर्थन करने की बात कह चुके हों लेकिन अंदरखाने टिकैत के बढ़ते प्रभाव से कांग्रेस थिंक टैंक भी बेहद चिंतित हैं. वैसे भी जिन जिलों में राकेश टिकैत की किसान महापंचायतें होने जा रही हैं वो किसान बाहुल्य जिले हैं.

माकपा के समर्थन के पीछे की वजह

दोनों प्रमुख दलों को चिंता की एक वजह ये भी है कि टिकैत की महापंचायतों के मंचों पर वामदलों के नेताओं के मौजूद रहने की बात कही जा रही है. प्रदेश में राजनीतिक हाशिए पर चल रहे वामदलों को किसान आंदोलनों और महापंचायतों के जरिए फिर से संजीवनी मिल सकती है. वहीं इस किसान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग ले रही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी राजस्थान में भी राकेश टिकैत के कार्यक्रमों में पूरा समर्थन कर रही है. टिकैत की नोहर में होने वाली महापंचायत में कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक बलवान पूनिया भी शामिल होंगे.

कब और कहां होंगी महापंचायतें

राकेश टिकैत 22 फरवरी को हनुमानगढ़ के नोहर में, 23 फरवरी चूरू के सरदारशहर और सीकर में, 25 फरवरी को करौली के टोडाभीम कस्बे के करीरी में और 26 फरवरी को गंगानगर के पदमपुर मंडी में महापंचायत करेंगे.

दिल्ली बॉर्डर पर किसान पिछले 3 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. शुरुआत में कहा जा रहा था कि यह आंदोलन केवल हरियाणा और पंजाब के किसान कर रहे हैं. लेकिन 26 जनवरी के बाद किसान आंदोलन का फोकस सिंघु बॉर्डर से शिफ्ट होकर गाजीपुर बॉर्डर पर चला गया. जिसके बाद राकेश टिकैत आंदोलन का एक नया चेहरा बनकर उभरे. राकेश टिकैत कृषि कानूनों के विरोध में दूसरे राज्यों में भी किसानों का सपोर्ट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.

खासकर दिल्ली से सटे हरियाणा, उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान में भी किसान आंदोलन का प्रभाव देखने को मिला है. यही वजह है कि राकेश टिकैत अब गाजीपुर बॉर्डर और सिंघु बार्डर से बाहर निकलकर दूसरे राज्यों में जाकर किसान महापंचायतें कर रहे हैं. अकेले राजस्थान में राकेश टिकैत की 22 फरवरी से 26 फरवरी तक पांच महापंचायतें होंगी. इसको लेकर उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर जानकारी शेयर की है.

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