
सुशील बच्चा और उसके भाई राजकुमार को पिछले दिनों कानपुर पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था. इनके खिलाफ जब गैंगस्टर की कार्रवाई की गई और संपत्ति जब्त किए जाने के बाद उसका आकलन शुरू हुआ तो सामने आया कि इन्होंने श्रम विभाग के सरकारी क्वार्टर कब्जा लिए हैं और अर्मापुर स्टेट की सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण कर के मकान बनाए हैं.
कानपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश पर पुलिस प्रशासन ने ड्रग्स माफियाओं पर चाबुक चलाना शुरू कर दिया है. जिले में पुलिस प्रशासन ने काकादेव में रहने वाले ड्रग्स माफिया सुनील बच्चा ओर उसके भाई राजकुमार के हवेलीनुमा आशियाने पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को अंजाम दिया.
पुलिस ने टीम गठित कर की कार्रवाई
बताते चलें कि कानपुर पुलिस ने ड्रग्स माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. मंगलवार को सीसामऊ सीओ निशांक शर्मा के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम सुशील बच्चा के अर्मापुर स्टेट स्थित आशियाने पर जा पहुंची. यहां पुलिस टीम ने घर की छानबीन करने के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की. यही नहीं इसके बाद पुलिस टीम सीधे सुशील बच्चा के भाई राजकुमार द्वारा कब्जा की गई श्रम विभाग की बनाई गई कॉलोनी, शास्त्री नगर जा पहुंची. यहां पुलिस टीम ने राजकुमार द्वारा कब्जा की गई कॉलोनियों को खाली कराया गया.
कानपुर में सुशील बच्चा पिछले काफी समय से मादक पदार्थों की तस्करी करने के काले कारोबार में सम्मलित था, जिसको लेकर उसे पहले भी कई बार गिरफ्तार किया जा चुका था, लेकिन इस बार कानपुर पुलिस-प्रशासन द्वारा उसके मकान के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई. इस कार्रवाई से ड्रग्स माफियाओं को पुलिस प्रशासन ने सख्त संदेश दिया है.
10 थानों की फोर्स रही मौजूद
ड्रग्स माफिया सुशील बच्चा के अर्मापुर स्टेट की सरकारी जमीन पर बने हवेलीनुमा आशियाने के ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया के चलते 10 थानों की फोर्स मौजूद रही. बताते चलें कि डीआईजी डॉ. परमिंदर सिंह ने श्रम विभाग और अर्मापुर स्टेट पुलिस को लिखित पत्र देकर सुशील बच्चा ओर उसके भाई राजकुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके सरकारी संपत्ति से बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू की थी. सुशील बच्चा ओर उसके भाई राजकुमार को बीते कुछ दिनों पहले पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था. इनके खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई भी की गई थी.
बुलडोजर न जा सका तो मजदूरों को लगाया
सकरे रास्ते में घर होने के कारण वहां तक बुलडोजर नहीं पहुंच पा रहा था, जिसके चलते पुलिस प्रशासन ने मजदूरों के द्वारा इनके आशियाने के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की. तीन मंजिला बनी इमारत के विषय में पुलिस का कहना है कि सुशील बच्चा की जगह यहां पर ड्रग्स की तस्करी करने वाले उसके गुर्गे रहते थे.