
पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश सरकार की तैयारी पूरी हो चुकी है. अब कुछ ही दिनों में पंचायत चुनावों की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है. इस बार का पंचायत चुनाव दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि इस बार के चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी से लेकर आम आदमी पार्टी तक उतर रही है.
लखनऊ: पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश सरकार की तैयारी पूरी हो चुकी हैं. 15 मार्च के बाद कभी भी पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो सकती है. इस बार पंचायत चुनाव अहम होंगा, क्योंकि पहली बार पंचायत चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी भी भाग ले रही है. बीजेपी ने पंचायत चुनाव में उतरने का एलान किया तो आम आदमी पार्टी ने भी खुलकर मैदान में आने की घोषणा कर दी.
पंचायत चुनावों में भाग लेने से बीजेपी को होंगे फायदे
पहली बार पंचायत चुनाव बीजेपी जैसी सत्तारूढ़ पार्टी खुलकर भाग ले रही है. इसके लिए पिछले दिनों कई बैठक की गईं. प्रदेश प्रभारी यह राधा मोहन सिंह और गृहमंत्री अमित शाह तैयारियों का हाल जानने के लिए लखनऊ आ चुके हैं. अब तक यह कहा जा रहा था कि पंचायत के चुनाव काफी छोटे होते हैं, लेकिन इस बार जिस तरीके से पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां की हैं, उसने इस धारणा को बदल दिया है. अप्रैल में पंचायत चुनाव होने हैं. इस पंचायत चुनाव के 10 महीने बाद ही उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी होने हैं. यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरीके से बीजेपी पंचायत चुनाव को लेकर अपनी तैयारी में जुटी हुई है, उसे देखते हुए इस बार पंचायत चुनाव काफी अहम है. इन चुनावों को विधानसभा का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है.
ये है विश्लेषकों का मानना
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री बताते हैं कि पंचायत चुनाव काफी अहम हैं, क्योंकि राष्ट्र निर्माण और विकास की गति को तेज करने में पंचायतों की मुख्य भूमिका रही है. इस बार राजनीतिक दलों के पंचायत चुनाव में उतरने से माहौल अलग ही होगा. इस बार आम आदमी पार्टी और बीजेपी जैसी पार्टियां खुलकर इस चुनाव में उतर रही हैं. निश्चित रूप से पंचायतों के गठन और गांव की सरकार बनने में भी इन दलों की भूमिका होगी. आने वाले समय में इन पंचायतों के माध्यम से विकास के लिए भी यह दल जिम्मेदार होंगे. बीजेपी को इससे काफी ज्यादा फायदा भी हो सकता है, क्योंकि ग्रामीण स्तर पर इन पंचायत चुनाव में भाग लेने से सत्ता का संगठन और मजबूत होगा.