बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग में दाखिल किया ARR
यूपी

लखनऊ में बिजली कंपनियों ने वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल किया है. इसके तहत कंपनियों ने लगभग 81901 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. वहीं उपभोक्ता परिषद मोर्चा खोलते हुए आयोग के चेयरमैन और सदस्यगण से मुलाकात की.

लखनऊः प्रदेश की बिजली कंपनियों ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोग में वर्ष 2021-22 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सहित ट्रू-अप वर्ष 2019-20 और एनुअल पावर रेट (एपीआर) वर्ष 2020-21 को दाखिल कर दिया है. इस बार सभी बिजली कंपनियों की तरफ से कुल लगभग 12,0043 मिलियन यूनिट बिजली खरीद प्रस्तावित की गई है. उसकी लागत लगभग 62,020 करोड़ रुपये है.

फिर से दाखिल कर दिया पहले का स्लैब

बिजली कंपनियों ने कुल वितरण हानियां 16.64 प्रतिशत आंकलित की हैं. सभी बिजली कंपनियों का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) 81,901 करोड़ रुपये का है. वहीं बिजली कंपनियां जो बिजली बेचेंगी वह लगभग 95,608 मिलियन यूनिट है. सबसे बड़ा चैंकाने वाला मामला यह है कि विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2020-21 में जिस स्लैब परिवर्तन को खारिज कर दिया था. उसे फिर से वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) का पार्ट बना दिया है.

दाखिल की रिव्यू याचिका

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य विनोद कुमार श्रीवास्तव और कौशल किशोर शर्मा से मुलाकात की. इस बात पर आपत्ति जताई कि नियामक आयोग ने खारिज स्लैब परिवर्तन को पुनः लागू कराने की साजिश की है. बिजली कम्पनियों ने आयोग की जारी टैरिफ वर्ष 2019-20 और 2020-21 दोनों के खिलाफ एक तरफ विद्युत नियामक आयोग में रिव्यू याचिका दाखिल की है. दूसरी ओर नई दिल्ली के अपटेल में भी मुकदमा दाखिल किया है. उन्होंने आयोग के अधिकारियों से कहा कि आयोग ने खारिज सभी पैरामीटर पर फिर वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल कर दिया गया है. जो पूरी तरह खारिज करने योग्य है.

उपभोक्ताओं का हजारों करोड़ रुपया बकाया

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कम्पनियों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं का कुल लगभग 19,535 करोड़ रुपये निकल रहा है. इसके एवज में पूरे प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 25 प्रतिशत की कमी हो सकती है. प्रदेश की जनता को लाभ न मिले इसलिए अपटेल में मुकदमा दाखिल किया गया है. अब प्रदेश सरकार खुद सामने आकर बताए कि उसे प्रदेश की जनता पर भार डलवाना है या फिर विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में कमी कराना है. जिस स्लैब परिवर्तन को विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ता परिषद की दलील और बहस के बाद खारिज कर दिया था. उसे पुनः प्रदेश की जनता पर लागू कराने और छोटे विद्युत उपभोक्ताओं पर बड़ा भार डालने की साजिश है. उपभोक्ता परिषद इसे कामयाब होने नहीं देगा.

परिषद ने खड़े किए सवाल

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने बिजली कम्पनियों पर सवाल उठाते हुए कहा जब बिजनेस प्लान में विद्युत नियामक आयोग ने वितरण हानियां वर्ष 2021-22 के लिए 11.08 प्रतिशत अनुमोदित किया था. फिर किस आधार पर बिजली कम्पनियों ने वितरण हानियों को 16.64 प्रतिशत प्रस्तावित कीं.

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