ये कैसी मजबूरी: शौचालय को बनाना पड़ा रसोईघर
शौचालय

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में अधिकारियों की लापरवाही के चलते कई पात्रों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसी के चलते एक बुजुर्ग महिला ने मजबूरी में शौचालय को रसोईघर बनाया है.

सीतापुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक हर गरीब को छत मुहैया कराने का सपना भले ही देखा हो, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते उनका यह सपना साकार होता नहीं दिख रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकातर पात्र व्यक्तियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित कर दिया जा रहा है. उसका रजिस्ट्रेशन भी करा दिया गया है, जैसे ही लक्ष्य प्राप्त होगा वैसे ही आवास का लाभ दिया जायेगा.

शौचालय को बनाना पड़ा रसोईघर

पात्रों को नहीं मिल रहा योजना का लाभ

उत्तर प्रदेश के सीतापुर की अधिकांश ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लाभ पात्र व्यक्तियों तक नहीं पहुंच पा रहा है. वर्तमान भाजपा सरकार भले ही हर गरीब व्यक्ति को 2022 तक हर हाल में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत छत मुहैया कराने का सपना देख रही हो, लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि की मनमानी व अधिकारियों की अनदेखी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद ही गरीब पात्र व्यक्तियों को भी आवास योजना से वंचित कर दिया जा रहा है.

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ऐसा ही मामला जिले के सिधौली विकासखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत हरदोईया में देखने को मिला है. यहां अभी भी भारी संख्या में पात्र व्यक्तियों को आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है. इसी गांव में 62 वर्षीय बुजुर्ग कलावती अपने दिव्यांग पुत्र के साथ गरीबी में जीवन यापन कर रही हैं. किसी तरह मेहनत मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का प्रबंध कर पाती हैं. कच्चा घर बना था वह गिर चुका है, एक झोपड़ी डाल कर वह गुजारा कर रही हैं. वह भोजन बनाकर झोपड़ी में खाना रख दें तो कुत्ते बिल्ली खा जाते हैं.

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पात्रों को नहीं मिल रहा प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

बुजुर्ग महिला ने शौचालय को ही बना दिया रसोईघर

दो वर्ष पूर्व उनका एक शौचालय का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा कराया गया था. घर में कोई बंद जगह ना होने के कारण वह खाने पीने की वस्तुएं व भोजन उसी शौचालय में रखने को मजबूर बनी हुई हैं. बुजुर्ग कलावती का कहना है कि वह पिछले 5 वर्षों से प्रधान से आवास दिलाए जाने की गुहार लगाती चली आ रही हैं. लेकिन आज तक उन्हें एक आवास नहीं मुहैया कराया जा सका है. वहीं बुजुर्ग महिला का एक दिव्यांग पुत्र है, जहां तक उसके नाम से भी एक आवास नहीं दिया जा सका है. जब कि दिव्यांग व्यक्तियों को आवास का लाभ प्राथमिकता के साथ लाभ मिलना चाहिए. लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते ऐसे पात्र व्यक्तियों को महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं जिम्मेदार अधिकारी अपात्रों को आवास देने से गुरेज नहीं करते हैं. ऐसे में जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी ही सरकार की फजीहत कराने में लगे हुए हैं.

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गांव में बुजुर्ग महिला के अतिरिक्त दर्जनों पात्र व्यक्ति

ग्रामीण सुदामा ने बताकि हमने कई बार अधिकारियों से मिलकर गुहार लगाई है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. यहां तक जिलाधिकारी से भी जनसुनवाई के माध्यम से कई बार आवास की मांग की गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. इस बाबत ग्राम पंचायत अधिकारी सुधाकर बाजपेयी ने बताया कि हरदोईया गांव में एक महिला कलावती पत्नी दलहू आवास का लक्ष्य आया था. हमने जांच की थी वह वास्तव में पात्र है .आवास प्लस सूची जो है, उसमें क्रामाक 10 पर नाम भी है. उसका आवेदन पत्र आवास के लिए विकास खण्ड कार्यालय में जमा करके उसका रजिस्ट्रेशन कर दिया गया है.

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मजबूरी ऐसी की शौचालय को बनाना पड़ा रसोईघर
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