
सूर्यकुमार यादव का इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में चयन होने पर वाराणसी में जश्न का माहौल है. सूर्यकुमार ने वाराणसी की गलियों से ही अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत की थी. यहीं पर उनके चाचा ने बचपन में उन्हें क्रिकेट की बारीकियां सिखानी शुरू की थी.
वाराणसी : इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में मुंबई इंडियंस की तरफ से खेलने वाले सूर्यकुमार यादव का चयन इंग्लैड के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिए हुआ है. इससे वाराणसी में जश्न का माहौल है. मूलरूप से गाजीपुर जिले के हथौड़ा गांव के रहने वाले सूर्यकुमार के बचपन का काफी वक्त अपने चाचा के सिगरा स्थित नानक नगर कॉलोनी में गुजरा है. यहीं से उन्होंने क्रिकेट के सफर की शुरुआत की. सूर्यकुमार के चाचा विनोद कुमार बताते हैं कि उनकी कामयाबी में उनके माता -पिता का बहुत योगदान है.

2013 में इंडिया ए टीम में हुआ चयन
पहला ब्रेक थ्रू के सवाल पर उनके चाचा विनोद ने बताया कि 2013 में लगा कि वह इंडिया टीम में जाएगा. न्यूजीलैंड के खिलाफ इंडिया ए टीम में उसका चयन भी हुआ था. न्यूजीलैंड दौरे से लौटने के बाद चोट लगने की वजह से वे टीम से बाहर हो गए. सन 2015-16 में फिर वापसी की. अच्छा परफॉर्मेंस किया. घर में योगदान के सवाल पर विनोद कुमार ने कहा कि परिवार में सबका सहयोग था, जिसमें माता-पिता का अहम योगदान था. सूर्यकुमार के पिता बचपन से ही उनके साथी के रूप में काम किए हैं. वह एकेडमी ले जाने और ले आने में मेहनत किए हैं. रमाकांत आचरेकर गुरु ने सूर्यकुमार की परफॉर्मेंस देख कर उनके पिता से मांग की थी कि अपने बेटे को मुझे दे दीजिए. पर पिता ने कहा कि मेरा एक ही पुत्र है. मैं देने में असमर्थ हूं. 10 सालों तक उनके एकडेमी में ट्रेनिंग ली.
पूर्वांचल के पहले प्लेयर बने सूर्यकुमार
चाचा विनोद ने बताया कि पूर्वांचल का पहला प्लेयर होने के नाते परिवार के सदस्यों को खुशी होती है कि वह बहुत आगे तक जाए. अब हम चाहते हैं कि इंग्लैंड के खिलाफ जो सीरीज शुरू हो रही है, उसमें वह अच्छा परफॉर्मेंस करें और वर्ल्ड कप में इसका चयन हो. यही उम्मीद है. चाचा विनोद ने बताया कि सूर्यकुमार का फिटनेस बहुत अच्छा है. मेहनत करने में बहुत अच्छा है. वह क्रिकेट को भगवान मानता है.