
वाराणसी जिले के लोहता सब्जी बाजार में एक किसान 50 पैसे में गोभी बेचने पर मजबूर हैं. किसान का कहना है कि उसकी लागत भी नहीं निकल पा रही है.
वाराणसी: रबी व खरीफ की फसलों पर कुदरत की मार बढ़ी तो किसानों ने सब्जी की खेती को आर्थिक तरक्की का जरिया बनाया. पड़ाव भोजपुर, चंदौली के किसान दीपू वाराणसी में खेती करते हैं. वे सात भाई हैं. पिता कल्लू ने भाइयों में खेती का बंटवारा किया, जिसके तहत चार बीघा खेत में एक वर्ष तक एक भाई ही खेती कर सकता है. दीपू का नंबर छ: साल बाद आया है. उसका चार बीघा खेत में खेती करने का समय मार्च 2020 से मार्च 2021 तक है. दीपू ने पूरे खेत में गोभी की खेती की. गोभी की खेती में कुल लागत लगभग 40 हजार रुपये आई.
किसान दीपू ने बताया कि पिछ्ले 20 दिनों से गोभी के दाम इतने कम हो गए हैं कि उपज का दाम नहीं निकल रहा है. एक मार्च तक खेत खाली करना इस किसान की मजबूरी है. दीपू की रिश्तेदारी लोहता बाजार इलाके में लखमीपुर गांव में है. इसलिए उसने रविवार को पिकअप भर कर गोभी लोहता सब्जी बाजार लाया और सड़क के किनारे खड़ा होकर 50 पैसे प्रति गोभी बेचना शुरू कर दिया. शाम तक मात्र दो हजार की ही गोभी वह बेच सका.
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गोभी की नहीं निकल पा रही लागत
दीपू ने बताया कि लाभ के लालच में मैने गोभी की खेती की थी, लेकिन अब लागत भी नहीं निकल पा रही है. पिछ्ले 20 दिन में अब तक मात्र 30 हजार रुपये की ही गोभी बेच सका हूं. अभी 5 बिस्वा खेत की गोभी बची हुई है.