न ट्रेनिंग-न आधुनिक हथियार, वनकर्मी कैसे करेंगे जंगल सुरक्षित जब खुद ही 'लाचार'
rajaji

विभागीय लापरवाही के कारण ही वन्यजीवों से संघर्ष के दौरान वनकर्मियों की अकाल मौत हो रही है. कई दफा वनकर्मी उपकरणों के अभाव में आग बुझाते वक्त झुलस भी चुके हैं.

ऋषिकेश: राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के ही वन दारोगा दिनेश कोठियाल ने फॉरेस्ट कर्मियों की सुरक्षा के लिए सरकारी इंतजामों की हकीकत बयां की है. उनका कहना है कि वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने फारेस्ट कर्मियों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं कराए हैं, अभी भी दशकों पुरानी पद्धति पर ही काम चल रहा है. हैरानी की बात ये है कि वन्यजीव से सामना होने पर निपटने के लिए न तो वनकर्मियों को उम्दा प्रशिक्षण दिया गया है और न ही आधुनिक हथियार.

वनकर्मी कैसे करेंगे जंगल सुरक्षित जब खुद ही 'लाचार'.

वन दारोगा दिनेश कोठियाल के मुताबिक, विभागीय लापरवाही के कारण ही वन्यजीवों से संघर्ष के दौरान वनकर्मियों की अकाल मौत हो रही है. कई दफा वनकर्मी उपकरणों के अभाव में आग बुझाते वक्त झुलस भी चुके हैं, बावजूद इसके न तो सरकार और न ही महकमा इसपर गंभीर है. स्थिति ऐसी है कि किसी वन्यजीव से जंगल में सामना होने पर वनकर्मी फायर के लिए हथियार निकालते हैं, तो उससे सिर्फ एक ही गोली चलती है. दूसरी गोली चलाने के लिए अपलोडिंग में इतना वक्त लग जाता है कि तबतक जानवर हमला कर देता है.

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उन्होंने सरकार से वनकर्मियों को आधुनिक हथियार उपलब्ध कराने के लिए कहा है. सिर्फ इतना ही नहीं, वन दारोगा ने विभागीय स्तर पर वन्यजीवों से संघर्ष होने पर उससे बचने और निपटने के लिए प्रशिक्षण दिए जाने की भी जरूरत बताई है.

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